जल्दी से जल्दी Body कैसे बनाये | Body बनाने का आसान तरीका व टिप्स


मसल्स बनाना आपके कॉन्फ़िडेंस को एक बूस्ट दे सकता है, लेकिन इसमें काफी टाइम और कंसिस्टेंसी की जरूरत होती है। अच्छी बात ये है कि, अगर आप हार्ड वर्क करते हैं और उसके साथ जुड़े रहते हैं, तो आपको रिजल्ट्स नजर आ सकते हैं। मसल बनाने के लिए, रेगुलर एक्सरसाइज करना और एक हेल्दी डाइट मेंटेन करना सबसे जरूरी होता है। आप एक ही तरह की एक्सरसाइज का यूज करके घर पर या फिर जिम में वर्कआउट करके भी मसल्स बना सकते हैं।

विधि 1
विधि 1 का 3:
अपना एक्सरसाइज रूटीन बनाना

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    एक एक्सरसाइज रूटीन बनाएँ: अपने लिए एक वर्कआउट प्लान बनाकर लिख लें, ताकि आपको मालूम रहे कि किस दिन आपको आपके कौन से मसल ग्रुप के ऊपर काम करना है। आप चाहें तो एक दिन में उन सभी के ऊपर काम करने का फैसला ले सकते हैं या फिर आप उन पर अलग-अलग दिनों काम कर सकते हैं। इन वर्कआउट्स के बीच में आपके मसल ग्रुप को 24-48 घंटे का आराम जरूर दें।[१]
    • उदाहरण के लिए, अगर आप मंडे को आपकी आर्म्स पर काम करते हैं, तो फिर वेंज्डे या थर्सडे को वापस उन्हीं मसल्स के ऊपर काम मत करें।
    • अगर आपको समझ नहीं आ रहा है कि शुरुआत कहाँ से की जाए, तो फिर ऑनलाइन एक सॉलिड वर्कआउट प्रोग्राम की तलाश कर लें और फिर कुछ दिनों के लिए उसे ही ट्राय करें। जल्दी-जल्दी एक से दूसरे प्रोग्राम पर मत पहुँच जाएँ, नहीं तो आप खुद को लगातार होने वाली प्रोग्रेस से रोक लेंगे।
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    अपने वर्कआउट को शेड्यूल करें: जरूरत से ज्यादा ट्रेनिंग करना अवॉइड करें, एक ऐसा शेड्यूल सेट करें, जो आपके लिए और आपके लक्ष्यों के लिए सही काम करे। अपने रूटीन को इस तरह से ओर्गेनाइज़ करें, ताकि आप दो मसल ग्रुप पर एक-साथ काम कर सकें और अपना टाइम भी बचा सकें। इसके उदाहरण में, चेस्ट और बैक डे, बाइसेप और ट्राइसेप डे या चेस्ट या ट्राइसेप डे हो सकते हैं।
    • यहाँ पर इस तरह के स्पिलट रूटीन का एक उदाहरण है, जो आपको आपके मसल्स के ऊपर काम करने के लिए काफी समय देता है और साथ ही आपको रिकवर करने का भी भरपूर टाइम देता है:
      • Day 1: चेस्ट और बाइसेप्स, जिसके बाद में कार्डियो
      • Day 2: बैक और ट्राइसेप्स
      • Day 3: रेस्ट और कार्डियो
      • Day 4: लेग्ज और ऐब्स
      • Day 5: शोल्डर, बाद में कार्डियो
      • Day 6: रेस्ट
      • Day 7: रेस्ट
    • एक और रूटीन, जिसे आप एक अपर/लोअर स्पिलट के लिए ट्राय कर सकते हैं। यहाँ पर आपके लिए यूज करने के लायक शेड्यूल दिया गया है:
      • Day 1: अपर-बॉडी वर्कआउट, बाद में कार्डियो
      • Day 2: लोअर-बॉडी वर्कआउट
      • Day 3: रेस्ट और कार्डियो
      • Day 4: अपर-बॉडी वर्कआउट
      • Day 5: लोअर-बॉडी वर्कआउट
      • Day 6: रेस्ट और कार्डियो
      • Day 7: रेस्ट
  3. 3.वेट लिफ्ट करने के पहले कार्डियो के साथ वार्म अप करें: इसके पहले कि आप किसी भी एक्सरसाइज रूटीन की शुरुआत करें, पहले एक ऐसे कम इंटेन्सिटी के वर्कआउट के साथ में स्टार्ट करें, जिसे आपके द्वारा वर्क की जा रही मसल्स को वार्म अप करने के लिए डिजाइन किया गया हो। न केवल ये आपको एक सही माइंड फ्रेम में पहुँचने में मदद करेगा, ये आपको चोट से बचाने में मदद कर सकता है। वेट लिफ्ट करना शुरू करने से पहले 5 से 10 मिनट के लिए लाइट कार्डियो करें।[२]
    • उदाहरण के लिए, वॉक करें, दौड़ें या फिर जगह पर ही जॉग करें।
    • जब तक कि आप 5 मिनट की कार्डियो नहीं कर लेते, तब तक स्ट्रेच के साथ में वार्म अप न करें। आपको आपकी कोल्ड मसल्स को कभी भी स्ट्रेच नहीं करना चाहिए, इसकी वजह से चोट लग सकती है।
  4. 4.मसल बनाने के लिए कम समय के लिए जोरदार वर्कआउट करें: हाइ स्पीड के साथ ट्रेनिंग करना, एंड्योरेंस बनाने के लिए अच्छा होता है, लेकिन ये आपको किसी भी साइज या स्ट्रेंथ में बनाने में मदद नहीं करेगा। इसकी बजाय, एक मसल ग्रुप के लिए करीब 3 से 8 सेट्स और अपने नॉर्मल रूटीन के लिए, हर एक सेट के लिए 6 से 12 रिपीटीशन करें। आपका आखिरी रिपीटीशन पूरा करना सबसे मुश्किल होगा! अगर ये नहीं है, तो फिर आपके द्वारा लिफ्ट किए जा रहे वेट को बढ़ा लें।[३]
    • अपने वर्कआउट के लिए हर रोज 60 मिनट अलग निकालकर रखें। कितनी भी देर के लिए और फिर उसके बाद आप थोड़े और क्वालिटी सेट्स परफ़ोर्म करने में थकान महसूस करेंगे।

    सलाह: हर 4 से 8 हफ्ते में, अपने रूटीन में थोड़ा बदलाव करें। जैसे ही आपके शरीर को ज्यादा स्ट्रेस मिलना शुरू होता है, फिर आपको इसकी आदत लग जाती है, जहां से आपकी वेट ट्रेनिंग के सारे फायदे खत्म होना शुरू हो जाते हैं। इसे होने से रोके के एक अकेला तरीका यही है कि आप वेट बढ़ाने और अपनी एक्सरसाइज को बदलने जैसी चीजों को बीच-बीच में बदलते रहें।

  5. 5.हफ्ते भर के दौरान अपने पूरे शरीर के ऊपर काम करें: जब आपका पूरा शरीर आपके रूटीन का हिस्सा रहेगा, तब आप ज्यादा से ज्यादा फायदे देखेंगे। ट्रेनिंग करते समय आप जितनी ज्यादा मसल्स का यूज करेंगे, आपको उतनी ही ज्यादा स्ट्रेंथ मिलना शुरू हो जाएगी और आपका मसल डेवलपमेंट भी उतना ही बैलेंस रहेगा। आप 1 बार में आपके पूरे शरीर के ऊपर काम कर सकते हैं या फिर अलग-अलग दिन पर अलग-अलग मसल ग्रुप के ऊपर टार्गेट कर सकते हैं।[४]
    • अपने सभी मसल्स ग्रुप पर एक बराबर ध्यान दें, जैसे कि बेंच प्रैस (bench presses) के हर 5 सेट के बाद रो (row) के 5 सेट्स। ये बैलेंस्ड ट्रेनिंग, ग्रोथ और फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ावा देगा।
    • स्क्वेट्स (squats), डैडलिफ्ट (deadlifts), प्रैस (presses), रो (rows) और पुल-अप्स (pull-ups) जैसी कम्पाउन्ड एक्सरसाइज काफी सारी अलग-अलग मसल्स का यूज करती हैं। ये फुल बॉडी वर्कआउट के लिए अच्छी होती हैं।
    • जल्दबाज़ी मत करें। एडवांस्ड लिफ्टर्स अक्सर उनके रूटीन को एक्सप्लोजिव रिपीटीशन कही जाने वाली टेक्निक के आसपास आधारित रखते हैं। दूसरे शब्दों में, ये बहुत कम (एक्सप्लोजिव) टाइम में बहुत ज्यादा मात्रा में वेट उठा लेते हैं। इस मेथड के कुछ संभावित फायदे हैं, लेकिन इसमें नए एथलीट्स को मिलने वाली चोट का रिस्क ज्यादा रहता है। इसे पूरी तरह से एडवांस्ड एथलीट्स के लिए रिकमेंड किया जाता है।
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    कार्डियो ट्रेनिंग शामिल करें: हर हफ्ते 150 मिनट की मोडरेट कार्डियो या फिर 75 मिनट की जोरदार कार्डियो या फिर इन दोनों के एक से कोंबिनेशन की स्टैंडर्ड रिकमंडेशन दी जाती है। हर एक अगले दिन या फिर हफ्ते में तीन दिन 30 से 60 मिनट की कार्डियोवेस्कुलर एक्टिविटी करना एक अच्छी शुरुआत हो सकता है। कार्डियो के उदाहरण में, दौड़ना, साइकिलिंग, स्विमिंग और ऐसा कोई भी स्पोर्ट, जिसमें लगातार मूवमेंट शामिल हो।[५]
    • अच्छी कार्डियोवेस्कुलर हैल्थ ब्लड फ़्लो को बढ़ाती है, जो कि मसल ग्रोथ के लिए सबसे जरूरी होता है। कार्डियो करना आपकी कार्डियोवेस्कुलर फिटनेस को भी बेहतर करता है, जो आपको कई तरह के स्पोर्ट्स और एक्टिविटीज के लिए आपकी मसल में हुई बढ़त का यूज करने देता है।
    • कार्डियो कैलोरी को तुरंत बर्न करती है, इसलिए इसकी अति करने की वजह से आपके मसल्स को बनाने के लिए मिलने वाली एनर्जी सीमित हो जाएगी। अगर आप कार्डियो एक्सरसाइज की मात्रा को बढ़ा लेते हैं, तो फिर आपके कैलोरी के सेवन को बढ़ाने के ऊपर भी ध्यान रखें।
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    आराम करें: आपके शरीर को रिकवर होने और आपकी मसल्स को रिपेयर (बनाने) के लिए टाइम की जरूरत पड़ती है और ऐसा करने के लिए आपको हर रात कम से कम 8 घंटे की क्वालिटी स्लीप लेना होगी। वैकल्पिक रूप से, अपने ट्रेनिंग के नियम की अति मत करें। आप शायद "ओवर-ट्रेनिंग" के नाम से पहचाने जाने वाले पॉइंट तक पहुँच जाएंगे, जिसमें आप आपकी मसल्स को "पम्प" करने की आपकी काबिलियत को खो देंगे, जिसकी वजह से आपकी मसल बर्बाद होना शुरू हो सकती हैं। यहाँ पर ऐसे कुछ लक्षण दिए गए हैं, जिनसे आपको इस बात की जानकारी मिल सकती है कि आप कहीं ओवर-ट्रेनिंग जोन में तो नहीं जा रहे हैं:[६]
    • लंबे समय की थकान
    • स्ट्रेंथ में कमी
    • भूख की कमी
    • अनिद्रा (Insomnia)
    • डिप्रेशन
    • कम हुई सेक्स ड्राइव
    • क्रोनिक दर्द (Chronic soreness)
    • जल्दी-जल्दी चोट पहुँचना
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  9. 8.अगर आपके डॉक्टर रिकमेंड करें, तो एक मल्टीविटामिन लें: अच्छी बैलेंस डाइट के साथ, अपनी डाइट में मल्टीविटामिन सप्लिमेंट भी शामिल कर लें। ये इस बात की पुष्टि करेगा कि आपके शरीर को हेल्दी बने रहने के लिए जरूरी भरपूर विटामिन और मिनरल्स मिल रहे हैं। आपकी उम्र, आपके सेक्स और आपकी खास हैल्थ और डाइट की जरूरतों के आधार पर आपके लिए कई सारे ऑप्शन मौजूद हैं। एक ऐसे रूटीन की तलाश करें जो आपके लिए ठीक हो और फिर उसे आपके डेली रूटीन का एक हिस्सा बना लें।[२८]किसी भी विटामिन या सप्लिमेंट लेने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से इसके लिए सलाह जरूर ले लें।                       सलाह::--आराम करना भी, वेट लिफ्ट करने के बराबर जरूरी होता है, इसलिए सेट्स के बीच में एक मिनट की साँस ले लें।अलग-अलग दिनों में,अलग-अलग मसल्स के ऊपर काम करें। शरीर को खराब हुए टिशू को रिपेयर करने के लिए समय लगता है, इसलिए एक अच्छे वर्कआउट के बाद, अपने शरीर को 24-72 घंटे का आराम दें।मसल बनाने की आपकी क्षमता, आपके जेनेटिक्स और आपके जेंडर के हिसाब से प्रभावित हो सकती है। कुछ लोग जेनेटिकली आसानी से मसल बनाने में सक्षम होते हैं। दूसरे लोगों को, उनके लिए काम करने वाले शेड्यूल की तलाश करने के लिए, अलग-अलग ईटिंग हैबिट्स और ट्रेनिंग रूटीन के ऊपर एक्सपरिमेंट करना होता है।अपने और मसल बनाना जारी रखने के लिए, समय के साथ आपके उठाए जा रहे वजन को बढ़ाना शुरू कर दें। इसे प्रोग्रेसिव ओवरलोड की तरह जाना जाता है।                                     हैवी वेट्स को कम रिपीटीशन के लिए उठाना, अपने मसल बनाने का एक अच्छा नियम होता है।वेट लिफ्ट करते समय ध्यान रखें कि आप सही फॉर्म का यूज कर रहे हैं।                                                                          जैसे-जैसे आप मसल बनाते जाते हैं, आपका मेटाबोलिज़्म शरीर के वजन में संतुलन के कुछ प्रकार को बनाए रखने के प्रयास में खुद को थरमोंस्टेट की तरह रेगुलेट करता है। आपको आपके वजन को बढ़ाने के लिए एक बार में आपकी कैलोरी बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी।                                                   चेतावनी:- जब आप किसी को आप से अलग तरह के या आप से अलग मात्रा का वजन उठाते हुए देखें, तो इसे देखकर घबराएँ नहीं या न ही अपनी ओर से कोई धारणा मत बना लें। वो शायद एक ऐसे प्रोग्राम में होंगे, जिसमें वो शायद ज्यादा वजन के साथ कुछ ही रिपीटीशन कर रहे हों या फिर इसका विपरीत भी हो सकता है। मसल बनाने का इस बात से कोई लेना-देना नहीं होता कि कोई दूसरा इंसान कितना लिफ्ट कर रहा है; इसका तो केवल इस बात से मतलब होता है कि आप खुद को कितना चैलेंज कर रहे हैं।अगर आप एक बिगिनर हैं, तो पहले हल्के वजन के साथ में शुरुआत करें। आपके द्वारा हैंडल किए जाने वाले वजन से ज्यादा वजन उठाने की वजह से आपको चोट पहुँच सकती है।

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